Corona Vaccine -विश्व में निर्मित कोरोना के TOP-3 टीका
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कोरोना वायरस ने ना ही सिर्फ भारत में, बल्कि सारी दुनिया को अपने चपेट में लेकर कोहराम मचा दिया है ।
इसकी चपेट में आने से दुनियाभर के देशों में लाखो लोग मौत और करोड़ों लोग संक्रमण के शिकार हो चुके है।
लेकिन इसी बीच एक सुखद खबर है 'Corona Vaccine', जी हां विश्वभर के कई देश के आखरी चरण में
पहुंच चुके है और कुछ देशों ने काफी हद तक सफलता भी प्राप्त कर ली है ।
" 2020 के अंत तक आ जाने वाले Top - 3 कोरोना टीके "
1. America में निर्मित mRNA-1273 कॉरोना टीका
मॉडर्ना थेराप्युटिक्स (Moderna Theraputics) एक अमरीकी बॉयोटेक्नॉलॉजी कंपनी है जिसका मुख्यालय मैसाचुसेट्स में है । ये कंपनी कोविड-19 की वैक्सीन के विकास के लिए नई रिसर्च रणनीति पर काम कर रही है। उनका मक़्सद ऐसा टीका तैयार करना है जो किसी व्यक्ति की immunity power को विकसित करे ताकि वो वायरस के ख़िलाफ़ लड़ सके । लेकिन mRNA-1273 वैक्सीन में उन विषाणुओं का इस्तेमाल नहीं किया गया है जो कोविड-19 के लिए ज़िम्मेदार है । इसके ट्रायल को America National Institute of Health की फंडिंग मिल रही है , ये वैक्सीन मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड पर आधारित है। वैज्ञानिकों ने लैब में वायरस का Genetic Code तैयार किया है, उसके एक छोटे से हिस्से को व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किए जाने की ज़रूरत होगी। वैज्ञानिक ये उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए प्रतिक्रिया करेगी।
2. चाइना में निर्मित AD5-nCoV कोविड टीका
चीनी बॉयोटेक कंपनी कैंसिनो बॉयोलॉजिक्स ने भी अपने ट्रायल्स शुरू कर दिए है ।
इस प्रोजेक्ट में कैंसिनो बॉयोलॉजिक्स के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ़ बॉयोटेक्नॉलॉजी और चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ मिलिट्री AD5-nCoV वैक्सीन में एडेनोवायरस के एक ख़ास वर्ज़न का इस्तेमाल बतौर वेक्टर किया जाता है। एडेनोवायरस विषाणुओं के उस समूह
इस प्रोजेक्ट में कैंसिनो बॉयोलॉजिक्स के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ़ बॉयोटेक्नॉलॉजी और चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ मिलिट्री AD5-nCoV वैक्सीन में एडेनोवायरस के एक ख़ास वर्ज़न का इस्तेमाल बतौर वेक्टर किया जाता है। एडेनोवायरस विषाणुओं के उस समूह
कहते हैं जो हमारी आंखों, श्वासनली, फेफड़े, आंतों और नर्वस सिस्टम में संक्रमण का कारण बनते हैं।
इनके सामान्य लक्षण हैं, बुखार, सर्दी, गले की तकलीफ़, डायरिया और गुलाबी आंखें. और वेक्टर का मतलब वायरस
इनके सामान्य लक्षण हैं, बुखार, सर्दी, गले की तकलीफ़, डायरिया और गुलाबी आंखें. और वेक्टर का मतलब वायरस
या एजेंट से है जिसका इस्तेमाल किसी कोशिका को डीएनए पहुंचाने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिकों का अंदाज़ा है
कि ये वेक्टर उस प्रोटीन को सक्रिय कर देगा जो संक्रमण से लड़ने में प्रतिरोधक क्षमता के लिए मददगार हो सकता है।
मेडिकल साइंसेज़ साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
मेडिकल साइंसेज़ साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट में ChAdOx1 वैक्सीन के विकास का काम चल रहा है.
23 अप्रैल को यूरोप में इसका पहला क्लीनिकल ट्रायल शुरू हुआ है। लेकिन ऑक्सफर्ड की टीम चिन्पांज़ी से
लिए गए एडेनोवायरस के कमज़ोर वर्ज़न का इस्तेमाल कर रही है. इसमें कुछ बदलाव किए गए ताकि इंसानों में ये ख़ुद का विकास न करने लगे।
लिए गए एडेनोवायरस के कमज़ोर वर्ज़न का इस्तेमाल कर रही है. इसमें कुछ बदलाव किए गए ताकि इंसानों में ये ख़ुद का विकास न करने लगे।
डॉक्टर फेलिपे टापिया कहते हैं,
"दरअसल, वे लोग लैब में वायरस तैयार कर रहे हैं जो नुक़सानदेह नहीं है. लेकिन इसकी सतह पर कोरोना
वायरस प्रोटीन है. "
उम्मीद की जा रही है कि इंसानों में ये प्रोटीन प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय कर देगी."वैज्ञानिक पहले भी इस तकनीक का इस्तेमाल करते रहे हैं. इसकी मदद से मर्स कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित की गई है. बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल्स से सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
"दरअसल, वे लोग लैब में वायरस तैयार कर रहे हैं जो नुक़सानदेह नहीं है. लेकिन इसकी सतह पर कोरोना
वायरस प्रोटीन है. "
उम्मीद की जा रही है कि इंसानों में ये प्रोटीन प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय कर देगी."वैज्ञानिक पहले भी इस तकनीक का इस्तेमाल करते रहे हैं. इसकी मदद से मर्स कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित की गई है. बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल्स से सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
1 Comments
awesome content keep it up
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